[100+] Chand Shayari In Hindi | Gulzar

चांद जैसा कोई चिज़ ईश दुनिया में ही नहीं है तो आज उसी ख़ूबसूरत सी चिज़ के लिए शायरी है ईश पोस्ट मी आशा है कि आप सभी को पसंद आएगा

Chand Shayari In Hindi|chand shayari Gulzar

चांद का टुकड़ा ना सूरज का नुमाइंदा हूं / मैं ना इस बात पर नाज़ान हूं न शर्मिंदा हूंबीबीद्र
तुम छट पे नहीं आए मैं भी घर से नहीं निकला / ये चांद बहुत भटका सावन की घाटों में
हम चांद सितारों की राहों के मुसाफिर हैं/हर रात चमकते हैं अंधेरी खेल में 
किसने जलाई बस्ती बाजार क्यो लूट/ मैं चांद पर गया था मुझे कुछ मलूम नहीं 
हवाएं रोयेंगी सर फोड लेंगी इन पहाड़ से/कभी जब बाद में में चांद की डोली रावन होगी 
चांद चेहरा, जुल्फ दरिया, बात खुशबू, दिल चमन/इक तुम्हें देकर खुदा ने दिया क्या-क्या मुझे 
ऐसी सुनसान धोफर में कहां/ चांद तारों की तरह चलते ख्वाब 
किसी दस्तक ने बहुत चुपके से सरगोशी की / चांद सेचांदनी नज़र में हुई जाती है 
कहीं चांद राहों में खो गया कहींचांदनी भी भटक गई / मैं चिराग वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई
अपना चांद मैं धुंधता रहा हूं तेरेचांद सितारों में/ शायद सच्चा मोती भी हो शीशे में टुकड़े में
जब भी देखो उस तारफ नजरें/ चांद भी है किसी का चेहरा क्या 
चांद के साथ कितने दर्द पुराने निकले ;; कितने गम वे जो तेरे गम के बहाने निकले
चांद तारे सभी हम-सफर थे मगर/जिंदगी रात थी रात काली रही 
ये चांद तारों का आंचल उसी का हिसा है/कोई जो दसरा ओडे तो दशहरा ही लागे 
चांद इन बदलियों से निकलेगा/कोई आएगा दिल को आस रहे  @iamrana @sai_ki_bitiya
तुम छत पर नहीं आए मैं घर से नहीं निकला / ये चांद बहुत भटका सावन की घाटों मैं
चांद बोला रात हुई अब मेरी बारी है / मगर रोशनी अभी भीमोमिन की जारी है
मेरे दरवाजे से अब चांद को रुकस कर दो/साथ आया है तुम्हारे जो तुम्हारे घर से
उन से कह दो की यूं छत पर न आया करें // कोईईद कर लेगा चांद समझ कर
चादर तारे, सूरज तारे तारे जगत वेवहर / पर तारे न हरिचंद्र सत्य वेवहरहिंदी चांद
महलों में हम ने कितने सितारे साजा दिए/लेकिन जमीन से चांद बहुत दूर हो गया 
चांद सा मिश्रा अकेला है मेरे कागज पर/छत पर आ जाओ मेरा  मुकम्मल करदो 
गम का फसाना सुन्ने वालो आखिर-ए-शब आराम करो ::; कल ये कहानी फिर लगेंगे, हम भी जरा अब तो ले हैं... चांदजीएन
पहली बार नजरों ने चांद बोले देखा/ हम जवाब क्या देते खो गए देखाओं में 

चांद को गरूर है के उसके पासनूर है / हम किस सर गरूर करें हमाराचांद हमसे दूर है

नहीं बेहिजब वो चांद सा के नज़र का कोई असर ना हो/उसी इतनी गरमी-ए-शौक से बड़ी डर तक और टका करोबीबीद्र @
जाने क्यों ये दर्द बीएस हमी को, क्या समझेंगे वो आंखों की नमी को, लाखो दीवाने हो जिस चांद के, वो क्या महसूस करेगा 1 तारे की कामिको।
वो थाका हुआ मेरी बहन में जरा सो गया था तो क्या हुआ/अभी मैंने देखा है चांद भी किसी शाखा-ए-गुल पे झुका हुआबीबीद्र
चांद कहीं खो गया मुझे नींद कैसे आएगी/चांदनी की चादर जो मेरे बदन को ना धन मिलेगी
चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला / मेरी तकदीर ने मुझे आवारा बना डालागुलाम अली
फिर उसी चांद से रिस्ता बना बैठे, फिर उसी सदगी से फरेब खा बैठे, पथरों से था तालुकात हमारा, फिर बी शीश का घर बना बैठे।

 

ऐ चांद जब वो तेरी ट्रैफ देखे तो कुछ याद दिलाना, मधुर सा कुछ गीत सुनाना या कहना कोई तुझे याद करता ज.#
रिश्ता क्या ह तेरा मेरा, मैं हू शब या तू ह सवेरा, तू ह चांद सितारो जैसा मेरी किस्मत घोर अँधेरा।#
ऐ चांद कुछ दैर जमीं पे आना, आज की शब उन के घर को एच जाना, नजुक सा दिल उन का दरवाजा, बड़े प्यार से खातना।
ऐ चांद कुछ दैर जमीं पे आना, आज की शब उन के घर को एच जाना, नजुक सा दिल उन का दरवाजा, बड़े प्यार से खातना।
चांद आज प्यार एस श्रमाया एच, तेरी मोहब्बत एन ऐसा गजब ध्यान एच, खुदा एस क्या तुझे मांगे, वो आजखुद मुझसे आप जैसी मोहब्बत मांगे आया।

<preचांद के साथ के दर्द पुराने निकले // कितने गम थे जो तेरे गम के बहने निकले…. चांद

 

थोड़ा सा अक्स चांद के पैकर में दाल दे // तू आके जान रात के मंज़र में दाल दे...
जिंदगी जब भी तेरी बज में लाती है हम // ये जमीन

Chand shayari gulzar

वो खुशबुओं का बदनचांदनी का साया है // बहुत अजीज हमें है मगर पराया है...
रोज़ तारों को नुमाइश मैं ख़लाल पद है/ चांद पागल है और यहां मैं निकला पद है
गलाट! कोई चाहने वाला नहीं है चांद का / होता तो आसमान में तन्हा नहीं रहने देता है
ये हवा ये रात येचांदनी तेरी अदा में शुमार है, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू, तेरी बसाजू में बहार है चांद
चौधवी रात के इस चांद कथा/सुरमई रात में साहिल के करीब/दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू/इसा के हाथ से गिर जाए सलीबगुलजार
मेरा प्यार जल रहा है ऐ चांद आज चुप जा कभी प्यार था हम भी तेरीचांदनी से पहले 
चांद बिना हर दिन यूं बिता जैसे युग बितें हो मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चा।
मां ने जिस चांद सी दुल्हन की दुआ दी थी मुझे/आज की रात वाह फूटपथ से देखा मैंने/रात भर रोटी नजर आया है वोचांद मुझे
आप की खतिर अगर हम लूट भी लें आसमां / क्या मिलेगा चांद चमकी-ले से शीशे तोड़ के।
सारा दिन बैठा मैं हाथ में खाली कासा/रात जो गुजरी
हमें की मिसाल दी तू सामने की बात की :: चांद लिख दिया कभी, कभी गुलाब लिख दिया ..

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