जिन्दा रहे तो फिर मिलेगें।
मगर आपसे मिलते रहे तो जिंदा रहेंगे।
मुलाक़ात मौत की मेहमान हो गयी है,
नज़र की दुनिया वीरान हो गयी है।
सपने देखे भी नहीं और टूट गये।
वो हमें मिले भी नहीं और रूठ गये।
मुझे उनसे मुलाकात हो गयी।
नजरों से नज़रों मिली दिल की बात हो गयी।
बैठे हो सुराही थाम कर,बस दो घूंट की मेरी पेयार है।
तुम मिलों या ना मिलो,मुझे तुम्हारे मिलने की आस है।
बाग़ में फूल खिलतीं है तो खिलने नहीं देता।
जब हम दोनों मिलते है तो मिलने नहीं देता है।
छोटी सी दोस्ती अनजानी मुलाकातें,
पल भर में ख़त्म होते दिन।
ख्यालों में डूबी लम्बी रातें।
कभी भी पर बात हो सकती है।
माना कि बहुत दूर है आपसे,
पर आँखे बंद करो तो मुलाकात हो सकती है।
दीदार –ए-सनम हो तो करार आये,
यूँ एक बदनसीब जिदगी में बहार आये।
आखिरी बार झलक दिखलादे कल तेरा शहर छोड़ जाऊंगा।
मिलके ही आना चेहरा दिखाने जरूर आऊंगा।
दोनों ही दरिया हो तो मिलन कैसे हो,
किसी एक का प्यासा होना भी जरूरी है।
मैं रेत की धारा तुम समन्दर का किनारा,
देखो ना कितना हसीन है मिलन हमारा।
किसे चाहिए अपनी खुशीयों कि जान,
जो मिलन से बढ़कर बिछड़ने का मोह जानता हो।
कुछ तो खुदा की भी खुदारी रही होगी इसमें,
जो इतनी आसानी से हमें मिलाया है।
मिलन हो तो ऐसा हो जैसा दूध और पानी का,
रेत और पानी का मेल जाने क्यों मुझे रास नहीं आता।
सीने से लगाके सुन तू धड़कन मेरी,
जो हरपल तुझसे मिलने की ज़िद करती है।
मिलन हो तो ऐसा हो जैसा दूध और पानी का,
रेत और पानी का मेल जाने क्यों मुझे रास नहीं आता।
सीने से लगाके सुन तू धड़कन मेरी,
जो हरपल तुझसे मिलने की ज़िद करती है।
तुम ठहरे हुँए तालाब,
मै हूँ बहती नदी प्रिये,
ऐसे में मुश्किल है अपना मिलन प्रिये।
मिलने से पहले जो यूँ मिल गए हो मुझको,
मिलने के बाद फ़िर तो गज़ब मिलोगे मुझमें।
बहुत मन कर रहा है तुमसे मिलने का,
हो सके तो कुछ पल के लिए
आज ख्वाबों में आ जाना।
ख्वाबों में तो कई बार मिले हैं,
अब हकीकत में मिलना है तुमसे।
किसी में मिल कर पूरा होना नहीं है मुमकिन,
जिससे बाँट सको अपना अधूरापन वहाँ ठहर जाना।
हरकतें वही हैं बस अंदाज बदलने लगे हैं,
तुझसे मिल कर हम तेरे रँग में रंगने लगे हैं।
मैं रेत की धारा तुम समन्दर का किनारा,
देखो ना कितना हसीन है मिलन हमारा।
प्रकृति की सुन्दरता ह्रदय को शांत करती हैं, दिन से रात का यह मिलन पिय से पिया के प्रेम का…!!
आओ दो पल साथ गुजार लो प्यार से फिर ऐसा मिलन हो न हो…!!
हरकतें वही हैं बस अंदाज बदलने लगे हैं, तुझसे मिल कर हम तेरे रँग में रंगने लगे हैं…!!
मिलने से पहले जो यूँ मिल गए हो मुझको, मिलने के बाद फ़िर तो गज़ब मिलोगे मुझमें…!!
सीने से लगाके सुन तू धड़कन मेरी, जो हरपल तुझसे मिलने की ज़िद करती है…!!
कुछ तो खुदा की भी खुदारी रही होगी इसमें, जो इतनी आसानी से हमें मिलाया है…!!
मै रेत की धारा तुम समन्दर का किनारा, देखो ना कितना हसीन है मिलन हमारा…!!
मिलन की रात थी, जल रहा था दिल का दिया, बड़ी खूबसूरत थी तन्हाई भी, धड़क रहा था जिया…!!
बेवजह, बेवक्त, बेहिसाब अंबर जो बरस रहा, मिलन है ये तेरा मेरा बरसों बाद जो हो रहा…!!
उससे मिलने में कोई पाबंदी नहीं अब, मैं भी एक ख़्याली परिंदा हो चला हूँ…!!
देखो फ़लक पर हमारा मिलन हो रहा है, कि फिर इक शाम हो चली है…!!
तेरा मेरा मिलन शफ़क़ सा ही हैं, कुछ पल ठहरता हैं अंधेरे में खोने से पहले…!!
दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है…!!
बिन मिले ही इतना न मिला करो हमसे, इज़हार-ए-इश्क़ में इक़रार सा हो जाता है…!!
तेरे मेरे मिलन का कुछ ऐसा अनूठा मंज़र होगा, जैसे रेगिस्तान की तलब मिटाने आई हो बे-मौसम बारिश कोई…!!
दिन को तारे दिखाई नहीं देते
रात को धूप निकल नहीं सकती,
चांद चांदनी से दूर हो सकता है
पर मेरी लवर मुझसे बिछड़ नहीं सकती।
तुम्हारी गली से हम गुजरते रहे तुम हमारी गली में कभी न आये,
दुनिया छोड़ दी हमने तुम तक पहुँचने के लिये और तुम हमेशा दूर से ही मुस्कराये !
न ही नफरत, न ही रोना ढूंढते हैं हम तो बस आपके दिल में इक कोना ढूंढते हैं,
बसा लो हमें अपने दिल में हम तो ना ही चांदी ना ही सोना ढूंढते हैं !
आप मेरे दिल में बसी हो हम बसे हैं दिल में तुम्हारे,
आओ हम तुम नई दुनिया बसायें क्योंकि तुम हो क्वाँरी हम हैं क्वाँरे !
साल भर बीत गया अब चार दिन में क्या होगा जो आप चाहेंगी वही होगा,
इकरार होगा दिल बेकरार होगा या फिर प्यार होगा !